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भारत का दौरा करने वाले विदेशी यात्रियों की सूची

मानक समय अंतराल के संबंध में भारत को विश्व का आध्यात्मिक गुरु कहा गया है। भारत की शिक्षा व्यवस्था विश्व में बेजोड़ थी। शायद यही कारण है कि इतने सारे विदेशी पर्यटक भारत की शिक्षा प्रणाली के बारे में जानने के लिए आते हैं। इस लेख में, हमने विशेष समय, मध्य युग के दौरान भारत की विदेशी यात्राओं के बारे में तथ्य शामिल किए हैं। विश्व की कुछ आरंभिक सभ्यताएँ भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जा सकती हैं। हमने पूरे मध्यकालीन काल में भारत का दौरा करने वाले विदेशी यात्रियों की एक सूची तैयार की है, जो विभिन्न प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए बहुत उपयोगी होगी।

भारत भ्रमण पर आये विदेशी यात्री

भारत का आदर्श्य पर्यटन स्थलों और अनूठे सांस्कृतिक विरासत के लिए दुनिया भर से विदेशी यात्री आते हैं। इन यात्रियों में अक्सर विभिन्न देशों के लोग होते हैं, जो भारतीय विविधता का सामाजिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक पहलुओं का अनुभव करने के इच्छुक होते हैं। इन विदेशी यात्रियों में पर्यटक, अनुसंधानकर्ता, व्यापारिक, और सांस्कृतिक समर्थक शामिल हो सकते हैं। यहां हम भारत भ्रमण पर आये विदेशी यात्री की एक सूची प्रस्तुत करते हैं।

भारत भ्रमण पर आये विदेशी यात्री

क्र.सं

नाम

देश

अवधि

शासक/वंश

1 मार्को पोलो इटली 1288-1292 ई पांड्य साम्राज्य
2 इब्न-ए-बतूता मोरक्को 1333-1342 ई मोहम्मद बिन तुगलक
3 निकोलो डी कोंटी इटली 1420-1422 ई देव राय प्रथम
4 त्सांग हाय चीन 1421-1431 ई बंगाल का जलालुद्दीन
5 अब्दुर रज्जाक  ईरान 1442-1443 ई देव राय द्वितीय
6 अथानासियस अफानसी निकितिन रूस 1470-1474 ई मुहम्मद तृतीय बहमनी
7 बार्टोलोमू डायस पुर्तगाली 1503-1508 ई डेक्कन
8 एडुआर्डो बारबोसा पुर्तगाली 1516-1518 ई कृष्णदेव राय
9 डोमिंगो के पेस पुर्तगाली 1520-1522 ई कृष्णदेव राय
10 नुनिज़ पुर्तगाली 1535-1537 ई अच्युत देव राय
11 एंथोनी मोनसेरेट पुर्तगाली 1578-1582 ई अकबर
12 राल्फ फिश अंग्रेज़ी 1585-1591 ई अकबर
13 सीज़र फ्रेड्रिसेह पुर्तगाली 16 वीं शताब्दी विजयनगर
14 जॉन लिंसचोटेन डच 16 वीं शताब्दी विजयनगर
15 लामा तारानाथ तिब्बत 16 वीं शताब्दी पूर्वी भारत
16 कैप्टन हॉकिन्स अंग्रेज़ी 1608-1613 ई जहांगीर
17 विलियम फिश अंग्रेज़ी 1608-1612 ई जहांगीर
18 जॉन जर्दन पुर्तगाली 1608-1617 ई जहांगीर
19 निकोलस डाउटन अंग्रेज़ी 1608-1615 ई जहांगीर
20 निकोलस विन्गिंगटन अंग्रेज़ी 1612-1616 ई जहांगीर
21 थॉमस कोरियट अंग्रेज़ी 1612-1617 ई जहांगीर
22 सर थॉमस रो अंग्रेज़ी 1615-1619 ई जहांगीर
23 पाल कैनिंग अंग्रेज़ी 1615-1625 जहांगीर
24 एडवर्ड टेरी अंग्रेज़ी 1616-1619 ई जहांगीर
25 फ़्रांसिस्को पेल्सर्ट डच 1620-1627 ई जहांगीर
26  पिएत्रा डेला वेले इटली 1622-1660 ई जहांगीर
27 जॉन लॉयट डच 1626-1633 ई शाहजहाँ
28 जॉन फ्रायर अंग्रेज़ी 1627-1681 ई शाहजहाँ
29 पीटर मुंडी इटली 1630-1634 ई शाहजहाँ
30 टैवर्नियर फ़्रेंच 1641-1687 ई शाहजहाँ और औरंगजेब
31 मनुक्की इटली 1656-1687 ई औरंगजेब
32 बर्नियर फ्रांस 1658-1668 ई औरंगजेब
33 जीन डे थेवेनॉट फ्रांस 1666-1668 ई औरंगजेब
34 जेमेली कैरेरी इटली 1695-1697 ई बीजापुर
35 जॉन शर्मन अंग्रेज़ी 18 वीं सदी फर्रुखसियर

भारत आने वाले प्रमुख विदेशी यात्री

  • ईरानी यात्री अब्दुल रज्जाक: यह ईरानी यात्री विजयनगर के शासक देवराय द्वितीय के शासन काल में भारत आया था।
  • अलबरूनी: यह भारत महमूद गजनवी के साथ आया था। अलबरूनी ने ‘तहकीक-ए-हिन्द या ‘किताबुल हिन्द‘ नामक पुस्तक की रचना की थी। इस पुस्तक में हिन्दुओं के इतिहास, समाज, रीति रिवाज, तथा राजनीति का वर्णन है।
  • अरबी यात्री अलमसूदी: यह अरबी यात्री प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम के शासन काल में भारत आया था। इसके द्वारा ‘महजुल जबाह‘ नामक ग्रंथ लिखा गया था।
  • चीनी यात्री इत्सिंग: इस चीनी यात्री ने 7वीं शताब्दी में भारत की यात्रा की थी। इसने नालंदा विश्वविद्यालय तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय का वर्णन किया है।
  • हेरोडोटस: हेरोडोटस को ‘इतिहास का पितामह’ भी कहा जाता है। इसने अपनी प्रथम हिस्टोरिका में 5वीं शताब्दी इस पूर्व के भारत-फारस के संबधो का वर्णन किया है।
  • इब्नबतूता: यह अफ्रीकी यात्री मुहम्मद तुगलक के समय भारत आया था। मुहम्मद तुगलक द्वारा इसे प्रधान काजी नियुक्त किया गया था तथा राजदूत बनाकर चीनी भेजा गया था। इब्नबतूता द्वारा ‘रहेला ‘ की रचना की गई है जिससे फिरोज तुगलक के शासन की जानकारी मिलती है।
  • कैप्टन हॅाकिग्स: यह 1608 ई. से 1613 ई. तक भारत में रहा। यह जहांगीर के समय भारत आया था तथा ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए सुविधा प्राप्त करने का प्रयास किया। यह फारसी भाषा का जानकार था। इसके द्वारा जहांगीर के दरबार की साज सज्जा तथा जहांगीर के जीवन की जानकारी प्राप्त होती है।
  • जीन बैप्टिस्ट तेवर्नियर: यह शाहजहां के शासन काल में भारत आया था। इसके द्वारा ही भारत के प्रसिद्ध हीरा ‘कोहिनूर‘ की जानकारी दी गई हैं।
  • डाइनोसियस: मिस्र नरेश टॉलमी फिलाडेल्फस का राजदूत डाइनोसियस सम्राट अशोक महान के शासन काल में इंडिया आया था।
  • टॅालमी: ‘भारत का भूगोल‘ नामक पुस्तक के लेखक टॅालमी ने दूसरी शताब्दी में भारत की यात्रा की थी।
  • डाइमेकस: यह बिन्दुसार के राजदरबार में आया था। डाइमेकस सीरीयन नरेश आन्तियोकस का राजदूत था। इसके द्वारा किये गए विवरण मौर्य साम्राज्य से संबंधित है।
  • डायोनिसियस: यह यूनानी राजदूत था जो सम्राट अशोक के दरबार में आया था। इसे मिस्र के नरेश टॅालमी फिलेडेल्फस द्वारा दूत बनाकर भेजा गया था।
  • विलियम हाकिन्स: विलियम हाकिन्स 1608 ईसवी में मुग़ल सम्राट जहाँगीर के शासन काल में भारत आया था। उसके यात्रा व्रतांत से जहांगीर की दरबारी व्यवस्था, दरबार में मनाये जाने वाले नौरोज का उत्सव, सम्राट के तुलादान, जहांगीर के व्यक्तिगत जीवन की जानकारी मिलती है।
  • वेनिस यात्री निकोला मैनुकी: यह वेनिस का यात्री था जो औरंगजेब के दरबार में आया था। इसके द्वारा ‘स्टोरियो डी मोगोर‘ नामक ग्रंथ लिखा गया जिसमें मुगल साम्राज्य का वर्णन है।
  • यूरोपीय यात्री पीटर मण्डी: यह यूरोप का यात्री था जो जहांगीर के शासन काल में भारत आया था।
  • प्लिनी: यह भारत में पहली शताब्दी में आया था। प्लिनी द्वारा ‘नेचुरल हिस्ट्री‘ नामक पुस्तक लिखी गयी है। इस पुस्तक में भारतीय पशुओं, पेड़ों, खनिजों आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
  • चीनी यात्री फाहियान: यह एक चीनी यात्री था जो गुप्त साम्राज्य में चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में 405 ई. में भारत आया था तथा 411 ई. तक भारत में रहा। इसका मूल उद्देश्य भारतीय बौद्ध ग्रंथों की जानकारी प्राप्त करना था। इसने अपने विवरण में मध्यप्रदेश की जनता को सुखी और समृद्ध बताया है।
  • पीटर मांडी: पीटर मांडी 1628 में शाहजहां के शासनकाल में भारत आया था। वह भारत में लगभग 8 वर्ष तक रुका। उसके यात्रा व्रतांत से शाहजहाँ के राजनितिक घटनाओ, मुग़ल दरबार की व्यवस्था, मुग़ल सम्राटों के व्यक्तिगत जीवन आदि के बारे में जानकारी मिलती है। उसने भारतियों के सामाजिक एंव धार्मिक रीति-रिवाजो का भी उलेख किया है।
  • फ्रांसीसी यात्री ट्रेवरनियर: फ्रांसीसी यात्री जान बेपटिस्ट ट्रेवरनियर 1604 ईसवी में भारत आया था। उसके यात्रा व्रतांत से भारत की सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बारे जानकरी मिलती है।
  • मनूची: मनूची इटली निवासी था। वह 1653 ईसवी में भारत आया था। वह लंबे समय तक भारत में रहा। उसका यात्रा – व्रतांत ‘स्टोरिया-डी-मोगोर के नाम से प्रशिद्ध है। जिसका अनुवाद विलियम ने किया है।
  • फांसीसी डाँक्टर बर्नियर: यह एक फांसीसी डाँक्टर था जो 1556 ई. में भारत आया था। इसने शाहजहां तथा औरंगजेब के शासन काल का विवरण किया है। इसकी यात्रा का वर्णन ‘ट्रेवल्स इन द मुगल एम्पायर‘ में है जो 1670 ई. में प्रकाशित हुआ था।
  • बाराबोसा: यह 1560 ई. में भारत आया था जब विजयनगर का शासक कृष्णदेवराय था।
  • फ्रासीसी सैनिक बेलैंगडर डी लस्पिने: यह एक फ्रासीसी सैनिक था जो 1672 ई. में समुद्री बेड़े के साथ भारत पहुँचा था। इसके द्वारा पाण्डिचेरी नगर की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान रहा था।
  • वेनिस यात्री मार्कोपोलो: यह 13 वी शताब्दी के अन्त में भारत आया था। यह वेनिस का यात्री था जो पांडय राजा के दरबार में आया था।
  • यूनानी शासक मेगास्थनीज: यह एक यूनानी शासक सैल्युकस निकेटर का राजदूत था जो 302 ई.पू. चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। यह 6 वर्षों तक चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहा और ‘इंडिका‘ नामक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक से मौर्य युग की संस्कृति,समाज एवं भारतीय इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है।

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FAQs

भारत आने वाले पहले विदेशी यात्री कौन थे?

भारत आने वाला पहला विदेशी यात्री मेगस्थनीज था।

भारत के इतिहास में विदेशी यात्रियों की क्या भूमिका थी?

विदेशी यात्रियों के वृत्तांत देश के प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास को निर्धारित करने में सहायता करते हैं। यह उस समय की सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक, आर्थिक और प्रशासनिक गतिविधियों की जानकारी देते हैं।