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मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में कोटा पुलिस और कोचिंग सेंटर की महत्वपूर्ण पहल

रविवार को कोटा में “कार्रवाई के माध्यम से आशा पैदा करना” कार्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने की पहल की विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया, जहां छात्रों के बीच आत्महत्या की दर को कम करने की रणनीतियों पर चर्चा की गई। छात्रों से कहा गया कि वे किसी भी तरह की परेशानी के लिए मनोवैज्ञानिकों, मनोचिकित्सकों और परामर्शदाताओं से सहायता लेने में संकोच न करें।

शिक्षा और कैरियर के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा में जुटे छात्रों के लिए मानसिक तनाव और दबाव की समस्याएँ सामान्य होती हैं। विशेष रूप से कोचिंग सेंटरों के छात्र इस दबाव का सामना करते हैं। राजस्थान के कोटा शहर में, जो भारत में ध्यान केंद्र के रूप में मशहूर है, इस दबाव का परिचय है। कोटा पुलिस और कोचिंग सेंटरों ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान ढ़ूंढ़ने के लिए हाथ मिलाया है। इस लेख में, हम इस महत्वपूर्ण पहल के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियाँ:

छात्रों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा कभी-कभी अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के साथ आता है, जिसका परिणाम मानसिक तनाव और दबाव हो सकता है। कोचिंग सेंटरों में पढ़ने वाले छात्र खुद को सफलता की ओर बढ़ने के लिए प्रश्नों और परीक्षणों के बावजूद अकेलेपन की स्थिति में पाते हैं। इसके साथ ही, कोचिंग सेंटरों में छात्रों के बीच कट्टर प्रतिस्पर्धा भी होती है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर दबाव डालती है।

कोचिंग सेंटरों का चयन करने के बाद, छात्रों के पास अकेलापन, स्थिति और पढ़ाई के दबाव के साथ-साथ अधिकतम प्रयासों की भारी व्यक्तिगत सामर्थ्य होती है। इसके बीच कुछ छात्र इस दबाव के सामना करने में सफल हो जाते हैं, जबकि दूसरे इसके प्रभावों से निराश हो जाते हैं।

छात्रों के बीच आत्महत्या की बढ़ती दर:

आत्महत्या की दर छात्रों के बीच बढ़ रही है और इससे न केवल उनके परिवार प्रभावित हो रहे है, बल्कि समाज को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कोटा में भी इस समस्या के गंभीर मामले सामने आए हैं, और वहां इस वर्ष तेईस छात्र मृत पाए गए हैं, जो 2013 के बाद से सबसे अधिक संख्या है।

इस त्रासदी से जुड़े छात्रों के परिवार और समाज के लिए यह अत्यंत चिंता का समय है और इस परिस्थिति का समाधान ढ़ूंढ़ने के लिए सहयोगात्मक प्रयास करना महत्वपूर्ण है।

कोटा पुलिस की महत्वपूर्ण पहल:

कोटा पुलिस ने इस समस्या को समझकर छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। उन्होंने संकट का सामना कर रहे छात्रों की पहचान करने और उन्हें आवश्यक सहायता देने के लिए एक पहल शुरू की है।

छात्र सेल:

इस पहल का हिस्सा बनने के लिए शहर के सभी पुलिस स्टेशनों को ऐसे मामलों को एक समर्पित विशेष इकाई, “छात्र सेल,” को भेजने के लिए कहा गया है। छात्र सेल में कुशल परामर्शदाताओं की एक टीम शामिल है, जो छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में मदद करती है।

कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ:

  1. सहायता प्रदान करना: छात्र सेल का मुख्य उद्देश्य छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के साथ सहायता प्रदान करना है। यह छात्रों को उनकी समस्याओं को समझने और उन्हें सही दिशा में दिलाने में मदद करता है।
  2. परामर्श: छात्र सेल के अधिकारियों के पास मानसिक स्वास्थ्य के मामले में प्रोफेशनल दृष्टिकोण होता है और वे छात्रों को सही दिशा में मार्गदर्शन देने के लिए तैयार रहते हैं।
  3. चिकित्सा सहायता: यदि किसी छात्र को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बजाय चिकित्सा की आवश्यकता होती है, तो छात्र सेल उन्हें चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए निर्देशित कर सकता है।
  4. सशक्त बनाना: छात्र सेल का उद्देश्य छात्रों को मानसिक रूप से सशक्त बनाना है। वे छात्रों को उनकी समस्याओं का सामना करने के लिए साहसी बनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और उन्हें समस्याओं को पार करने के लिए उनकी सामर्थ्य को बढ़ावा देते हैं।

कोचिंग सेंटरों का सहयोग:

कोटा पुलिस ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान ढ़ूंढ़ने में कोचिंग सेंटरों के साथ सहयोगात्मक प्रयास किया है। इसमें कोचिंग सेंटरों के साथ साझेदारी बनाने और छात्रों को आवश्यक सहायता, परामर्श और चिकित्सा सहायता प्रदान की गई है।

सामाजिक गतिविधियाँ:

कोटा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IGP) प्रसन्न कुमार खमेसरा ने कहा कि प्रतिस्पर्धी माहौल में छात्रों के लिए सामाजिक गतिविधियों में शामिल होना महत्वपूर्ण है, जहां अकेलापन नकारात्मक विचारों को जन्म दे सकता है। यहां छात्रों को अपने आसपास के लोगों से लगातार बातचीत करनी चाहिए और अपने विचार साझा करने चाहिए।

विचार-विमर्श:

विचार-विमर्श में छात्रों के बीच संकट का शीघ्र पता लगाने और उनके मानसिक स्वास्थ्य को बिगड़ने से रोकने के लिए हस्तक्षेप करने के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। मनोचिकित्सक एम.एल. अग्रवाल ने कहा कि आत्महत्या को रोकने के लिए छात्रों के व्यवहार में बदलाव को समझना महत्वपूर्ण है, समय पर मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप ऐसी त्रासदियों से बचने में मदद कर सकता है।

कोचिंग सेंटरों के साथ पुलिस की साझेदारी को एकजुटता और सामूहिक जवाबदेही की भावना विकसित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो प्रतिभागियों को आत्महत्याओं को रोकने के लिए काम करने के लिए प्रेरित करेगा।

निष्कर्षित सहायता की आवश्यकता:

यह महत्वपूर्ण है कि हम छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में निष्कर्षित सहायता प्रदान करें। छात्रों को उनकी समस्याओं को साझा करने और उन्हें सहायता लेने के लिए आत्म-उत्प्रेरणा देने के लिए संवेदनशीलता और समझदारी की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

कोटा पुलिस और कोचिंग सेंटरों की इस महत्वपूर्ण पहल के माध्यम से, छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद मिल रही है। छात्रों को इन समस्याओं का सामना करने और समस्याओं को पार करने के लिए सही साधन प्राप्त करने में मदद मिल रही है, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है। हमें इस पहल का समर्थन करना चाहिए और छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्णता के बारे में जागरूक करना चाहिए। इसके माध्यम से हम छात्रों को न केवल उनकी शिक्षा की दिशा में मदद कर सकते हैं, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता को भी सुन्दर बना सकते हैं।

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FAQs

छात्रों में आत्महत्या को कम करने के लिए कोटा पुलिस ने क्या कदम उठाए हैं?

कोटा पुलिस ने छात्रों तक पहुंचने और तनाव और अवसाद के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने का प्रयास करने के लिए एक समर्पित "छात्र कक्ष" की स्थापना की है। सेल में एक नियंत्रण कक्ष है जहां कर्मियों को समर्पित हेल्पलाइन पर कॉल प्राप्त करने के लिए नियुक्त किया गया है।

कोटा में छात्रों के बीच आत्महत्या दर का डेटा क्या है?

पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, कोटा में 2022 में 15, 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में सात, 2016 में 17 और 2015 में 18 छात्रों की आत्महत्या से मौत हुई। 2023 में, 23 छात्रों की आत्महत्या से मृत्यु हो गई है। इस वर्ष 2013 के बाद से छात्रों की आत्महत्या की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है।