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देखिए राज्यवार भारतीय लोक नृत्यों की पूरी सूची

भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है लोक नृत्य। यह नृत्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आदिवासी, ग्रामीण, और जनजाति समुदायों की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिम्ब है। भारतीय लोक नृत्यों की सजीवता, रंगमंच पर उनकी गतिविधियों की जीवंतता, और उनके माध्यम से समुदायों की भावनाओं को व्यक्त करने का अद्वितीय तरीका है। इस लेख में, हम भारत के प्रमुख लोक नृत्यों के विषय में चर्चा करेंगे, उनकी महत्ता को समझेंगे, और उनके विभिन्न आयामों को खोजेंगे।

भारत का लोक नृत्य

भारत अपनी जीवंत सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, जो प्राचीन सभ्यताओं से लेकर समकालीन समुदायों तक फैली परंपराओं में गहराई से निहित है। नृत्य, जीवन का एक अभिन्न पहलू, विभिन्न रूपों में विकसित हुआ है, जिन्हें मोटे तौर पर शास्त्रीय और गैर-शास्त्रीय शैलियों में वर्गीकृत किया गया है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, इन बारीकियों को समझना महत्वपूर्ण है, खासकर क्योंकि स्थिर जीके अक्सर उच्च अंक प्राप्त करने के लिए महत्व रखता है। भारतीय सांस्कृतिक विरासत में लोक नृत्यों का विशेष महत्व है। ये नृत्य भारतीय जनता की भावनाओं, प्रत्येक रीति-रिवाज़ और स्थानीय विविधताओं को प्रकट करते हैं। इन नृत्यों में गायकी, नृत्य, वाद्य और रंगमंच का मिलन होता है जो समृद्ध और प्रभावशाली सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है।

भारत के लोक नृत्य- राज्य वार सूची

सादगी की विशेषता वाले भारतीय लोक और आदिवासी नृत्य, मौसमी बदलावों, प्रसव, शादियों और उत्सव के अवसरों पर खुशी की अभिव्यक्ति के रूप में काम करते हैं। विशिष्ट समूहों या क्षेत्रों से सामूहिक रूप से संबंधित ये कला रूप एक साझा विरासत को समाहित करते हैं। हालाँकि उत्पत्ति इतिहास में लुप्त हो सकती है, विशिष्ट शैलियाँ पीढ़ियों तक कायम रहती हैं। भारतीय लोक नृत्यों से संबंधित प्रश्न अक्सर परीक्षाओं में आते हैं, जो उम्मीदवारों को अपने अंक बढ़ाने का अवसर प्रदान करते हैं। नीचे दी गई तालिका का संदर्भ लेते हुए, शिक्षार्थी विभिन्न राज्यों से जुड़े विभिन्न नृत्य रूपों का पता लगा सकते हैं और उनसे परिचित हो सकते हैं।

भारत के लोक नृत्य
राज्य  लोकनृत्य
महाराष्ट्र कोली, गफा, गौरीचा, तमाशा, दहिकला, पोबाड़ा, बोहदा, मौनी, ललिता, लांवणी, लेजम
गुजरात डांडिया, गरबा, गरडांडि, रसीला, रासलीला
राजस्थान घूमर, कालबेलिया नृत्य, तेरहताली, चरी नृत्य, कठपुतली नृत्य, सूइसिनी, चकरी नृत्य
छत्तीसगढ़ करमा, राउत नाच, गेड़ी, पंथी नृत्य, सुआ नृत्य, डंडा नृत्य, ककसार नृत्य, डोमकच नृत्य, सरहुल नृत्य, परघोनी नृत्य, हुलकी नृत्य, बिलमा नृत्य, परघोनी नृत्य, फाग नृत्य, हुलकी नृत्य, दशहरा नृत्य, पंडवानी नृत्य
 जम्मू और कश्मीर मंदजास, राउफ, हिकात
पंजाब भांगड़ा, गिद्दा
उत्तर प्रदेश कजरी, चाचरी, जांगर, जैता, ढोला, नौटंकी, रासलीला, सांग
मध्यप्रदेश गोन्यो, गौंडो, चैत, छेरिया, टपाली, डागला, दिवारी, नरबानी, पाली, बिल्मा, भागोरिया, मांदरी, रीना, सीगमड़ियां, सूआ, हुल्को, हेमदन्ना
मेघालय बांग्ला
आंध्र प्रदेश कुम्मी, घंटामर्दला, बतक्रम्मा, माधुरी, मरदाला, सिद्धि, भद्रकला, कालीयट्टम
तमिलनाडू कड़ागम, कावडी,कोलट्टम, पिन्न्ल कोलट्टम
केरल तिरुवतिरकली,कथकली
बिहार करमा, घुमकड़िया, कीर्तनिया, चकवा, छऊ, जट-जटनि, जदूर, जातरा, जाया, झीका, डांगा, पंवरिया, बरबो-बरवाहन, बैमा, माघा, माधी, मुझरी, मूका, विदापत, विदेशिया सोहराई
पश्चिम बंगाल काठी, कीर्तन, गम्भीरा, जात्रा, ढाली, बाउल, मरसिया, रामवेश
अरुणाचल प्रदेश मुखौटा नृत्य, युद्ध नृत्य
असम अंकियानाट, कलिगोपाल, झुमुरा, तबल चौगंबी, नटपूजा, बिछुआ, बिहु नृत्य, बुगुरुम्बा, बोईसाजू, महारास, होब्जानाई
ओड़िसा गरूड़ वाहन, घूमरा, चंगुनाट, जदूर मुदारी, पैका, संचार, सवारी
गोवा खोल, झागोर, दकनी
मणिपुर तलम्, थांग्टा, नटरास, पुंगचोलोन, बसंतरास, राखाल
नागालैंड कुमीनागा, खैवा, चोंग, नूरालिम
मिजोरम चेरोकान, पाखुपिला
लक्ष्यद्वीप प्रिचकली
हरियाणा सांग, धमाल, लूर, फाग, डाफ(डफ)
झारखण्ड झुमइर, डमकच, करमा, छऊ नृत्य, अलकाप
उत्तराखण्ड पांडव नृत्य, छोलिया नृत्य, झोड़ा-चांचरी, हुड़का बौल

भारत में कुछ महत्वपूर्ण लोक नृत्य

भारतीय संस्कृति और विरासत में लोक नृत्यों का एक महत्वपूर्ण स्थान है। ये नृत्य भारत की विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय जनजातियों और समुदायों की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिम्ब हैं। आइए विभिन्न लोक नृत्यों के कुछ राज्य-विशिष्ट विवरणों के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करें।

उत्तर प्रदेश का लोक नृत्य

भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर में से एक है उत्तर प्रदेश के लोक नृत्य। यहां की सांस्कृतिक विरासत ने विभिन्न नृत्य रूपों को जीवंत किया है, जो लोगों की आत्मा को संवादित करते हैं। उत्तर प्रदेश में कई प्रमुख लोक नृत्य हैं, जो उसकी विविधता और समृद्धि का प्रतीक हैं।

  • कथ्कली: उत्तर प्रदेश का प्रमुख लोक नृत्य कथ्कली है, जो केरल के एक लोक नृत्य है। इसमें रंगबिरंगे वस्त्र और आकर्षक मेकअप के साथ नृत्यात्मक अभिव्यक्ति होती है।
  • रास लीला: यह नृत्य भगवान कृष्ण की लीलाओं पर आधारित है और इसे बृजभूमि के वृंदावन और मथुरा में विशेष अवसरों पर आयोजित किया जाता है।
  • चौरीसा: उत्तर प्रदेश के लोक नृत्य में चौरीसा भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह नृत्य विभिन्न सामाजिक और धार्मिक अवसरों पर प्रस्तुत किया जाता है और इसमें गायकों की संगीत सहित नृत्य किया जाता है।
  • थुमरी: यह उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध लोक नृत्य है, जिसमें श्रृंगार और भक्ति भावनाओं को सांगीतिक रूप में प्रकट किया जाता है।
  • बन्धा नृत्य: यह नृत्य उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक नृत्य है, जो स्त्री-पुरुष दो समूहों में होता है और उनके बीच में नृत्य किया जाता है।
  • लवणी: यह उत्तर प्रदेश की पौराणिक कथाओं और पुरानों पर आधारित है, और इसमें भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम की कथाएं बताई जाती हैं।
  • नौटंकी नृत्य: नौटंकी नृत्य को छंद, दोहा, हरी गीतिका, कव्वाली , गजल आदि के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है. इसमें गायन, अभिनय, नृत्य आदि कई सारी विधाएं शामिल रहती है. यह बहुत ही रोचक नृत्य होता है. भारत के उत्तर प्रदेश में किया जाने वाला नौटंकी लोक नृत्य प्राचीनकाल से ही प्रसिद्ध है. नौटंकी में बहुत से रस शामिल रहते है जैसे हास्य रस, वीर रस आदि. नौटंकी में प्रस्तुत की जाने वाली कथा किसी के जीवन पर आधारित भी हो सकती है. इसकी समयावधी बहुत कम होती है, जिसमे गाना, नाचना शामिल होता है. नौटंकी में कई सारे वाद्य नृत्य भी उपयोग किये जाते है।

बिहार का लोक नृत्य

बिहार का लोक नृत्य उसकी समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यहां के नृत्य उत्सव और आयोजनों में समाहित होते हैं, जो समाज की भावनाओं और परंपराओं का प्रतिबिम्ब हैं। बिहार के लोक नृत्य गतिशीलता, रंगीनी, और आनंद का संगम होते हैं, जो इन्हें विशेष बनाता है।

  • चौरीसा: यह उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच एक प्रमुख लोक नृत्य है, जो विशेष अवसरों पर प्रस्तुत किया जाता है। इसमें गायकों के साथ मेलोडियस नृत्य होता है जो दर्शकों को मोहित कर देता है।
  • विदेशिया: बिहार में किया जाने वाला विदेशिय नृत्य भोजपुरी भाषी नृत्य है. विदेशिय नृत्य बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक प्रसिद्ध है. यह नृत्य मनोरंजन से भरपूर होता है. साथ ही इसमें समाज से जुडी बुराइयों को समाप्त करने का सन्देश भी दिया जाता है.

राजस्थान का लोक नृत्य

राजस्थान के लोक नृत्य में गीत, नृत्य, और संगीत का मिलन होता है, जो उनकी अद्वितीयता और विविधता को प्रकट करता है। यहाँ के लोक नृत्य अपनी बहुमुखी भावनाओं, परंपराओं, और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिम्ब हैं।

  • घूमर: घूमर राजस्थान का प्रसिद्ध और लोकप्रिय नृत्य है, जो स्त्रियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह नृत्य खास रंगीन साड़ियों, गहनों, और मेकअप के साथ किया जाता है और स्त्रियों के सौंदर्य को प्रकट करता है।
  • भवाई नृत्य: राजस्थान के उदयपुर क्षेत्र में किया जाने वाला भवाई नृत्य बहुत अधिक लोकप्रिय है. इस नृत्य में मटकों को सर पर रख कर नृत्य किया जाता है. इन मटकों की संख्या 8 से 10 भी हो सकती है. इस नृत्य की खासियत यह है की नृत्य करते समय नर्तकी किसी गिलास या थाली के कटाव पर या तलवार पर खड़े हो कर नृत्य करती है।

केरल का लोक नृत्य

  • मोहिनीअट्टम: यह नृत्य शास्त्रीय परम्परा पर ही आधारित है. यह अपने नाम के अनुसार ही मोहित करने वाला नृत्य होता है. इस नृत्य में आँखों के, हाथों के तथा चेहरे के हाव्-भाव बहुत अधिक महत्वपूर्ण होते है. इसमें न्रात्यांगना केरल की विशेष सफ़ेद रंग की सुनहरी जरी वाली साड़ी पहनती है. यह नृत्य मूल रूप से हिन्दू पौराणिक कथाओ पर आधारित होता है.
  • कथकली: कथकली में एक नृत्य नाटिका अर्थात एक कथा का विवरण प्रस्तुत किया जाता है. इसमें विभिन्न पुराणों जैसे महाभारत या रामायण आदि के चरित्रों का रूपांतरण किया जाता है. इस नृत्य की वेशभूषा बहुत ही सुन्दर एवं आकर्षित करने वाली होती है. इसमें विशेष वस्त्र  एवं आभूषणों जैसे सर पर मुकुट आदि का प्रयोग किया जाता है. इस नृत्य में हाथों की मुद्राओं एवं चेहरे भावों का विशेष महत्व रहता है.

मध्य प्रदेश का लोक नृत्य

  • पंडवानी: पंडवानी नृत्य मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ में किया जाता है .यह एकल लोक नृत्य है. इसमें गायन एवं नृत्य एक ही व्यक्ति के द्वारा किया जाता है. इसमें मुख्य रूप से पांड्वो पर आधारित घटनाओं का चित्रण किया जाता है.
  • गणगौर नृत्य: मध्यप्रदेश के निमाड़ में क्षेत्र का सबसे लोकप्रिय नृत्य है गणगौर. चैत्र मास की नवरात्रि में गणगौर नृत्य किया जाता है. यह पर्व माँ गौरी और शिव की उपासनाके लिए होता है. इसमें रथ सर पर रख कर नृत्य किया जाता है.

असम का लोक नृत्य

बिहू: भारत के असम राज्य का लोक नृत्य है बिहू. बिहू नृत्य असम की कछारी जनजाति के द्वारा किया जाता है. बिहू नृत्य फसल की कटाई के दौरान ही किया जाता है. यह नृत्य साल में तीन बार मनाया जाता है. बिहू नृत्य की वेशभूषा बहुत ही अधिक साधारण होती है, इसे करते समय पारम्परिक वस्त्र जैसे धोती, गमछा आदि पहना जाता है.

गुजरात का लोक नृत्य

गरबा: गरबा गुजरात का लोक नृत्य है, लेकिन यह भारत के कई हिस्सों में किया जाता है, यह नवरात्री के अवसर पर किया जाता है. गरबा नृत्य के द्वारा माँ दुर्गा की आराधना की जाती है. गरबा नृत्य नवरात्री में पुरे भारत में किया जाता है।

कर्णाटक का लोक नृत्य

यक्षगान: यक्षगान एक पारम्परिक नृत्य नाटिका है. जो कर्णाटक प्रदेश में की जाती है. इस नृत्य को विशेष तौर पर धान के खेतो में, रात के समय प्रस्तुत किया जाता है. जिसमे युद्ध से जुड़े पहलुओं को दर्शाया जाता है.

पंजाब का लोक नृत्य

  • भांगड़ा: मुख्यतः यह लोक नृत्य पुरुषो द्वारा किया जाता है, पंजाब में इसे त्योहारों और उत्सवो पर किया जाता है.
  • गिद्दा: पंजाब में ही एक और लोक नृत्य प्रसिद्ध है, जिसका नाम है गिद्दा. यह नृत्य महिलों द्वारा पारम्परिक पंजाबी वस्त्र पहन कर किया जाता है.

महाराष्ट्र का लोक नृत्य

  • तमाशा: यह महाराष्ट्र में किया जाने वाला नाटिका नृत्य है. ज्यादातर लोक नाटिका में पुरुष ही मुख्य भूमिका निभाते है लेकिन तमाशा में मुख्य भूमिका महिलाएं ही निभाती है. यह बहुत ही सफल लोक नृत्य है. इसमें हार्मोनियम , घुंघरू, मंजीरा, आदि यंत्रों का प्रयोग किया जाता है. तमाशा का प्रस्तुतीकरण प्रायः कोल्हाटी समुदाय के द्वारा किया जाता है.
  • लावणी: लावणी महाराष्ट्र का सबसे अधिक लोकप्रिय नृत्य हैं. लावणी नृत्य की लोकप्रियता का अन्दाज इस बात से लगाया जा सकता है कि लावणी नृत्य का प्रयोग फिल्मों में भी किया जाता हैं. यह नृत्य विशेष पारंपरिक परिधान में किया जाता है, जिसमे न्रात्यांगना 9 मीटर के साड़ी पहनती है. लावणी नृत्य में आध्यात्म एवं श्रृंगार दोनों ही भावों का मेल होता है.

जम्मू-कश्मीर का लोक नृत्य

रऊफ नृत्य: भरत के जम्मू-कश्मीर में लोकप्रिय यह नृत्य विशेष रूप से फसल की कटाई के उपलक्ष्य में किया जाता है. यह नृत्य मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा के द्वारा ही किया जाता है.

छतीसगढ़ का लोक नृत्य

पंथी नृत्य: छतीसगढ़ के महान संत गुरु घासीदास के पंथ से ही पंथी नृत्य का नामकरण हुआ है. मुख्यतः निर्गुण भक्ति पर आधारित यह लोक नृत्य छत्तीसगढ़ के सतनामी समुदाय के द्वारा किया जाता है. इस नृत्य में नर्तक झांझ एवं मृदंग की ध्वनी पर सफ़ेद धोती पहन कर नृत्य करते है. इस नृत्य के दौरान अचंभित करने वाले कारनामे भी दिखाए जाते हैं. यह नृत्य आध्यात्मिक भावनाओं पर आधारित होता है.

आन्ध्र प्रदेश का नृत्य

कुचिपुड़ी: इस नृत्य का नाम आँध्रप्रदेश के एक गाँव कुचिपुडी  के नाम पर ही पड़ा है. यह नृत्य पुरे दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है. कुचिपुड़ी नृत्य का प्रदर्शन पारंपरिक तरीके से किया जाता है. नृत्य से पहले मंच पर पूजन किया जाता है. इस नृत्य में कर्णाटक संगीत के साथ मृदंग, वायलीन आदि यंत्रों का प्रयोग किया जाता है. इसमें विशेष आभूषण एवं वस्त्र पहने जाते है.

उत्तराखंड का लोक नृत्य

छौलिया नृत्य: उत्तराखंड में किया जाने वाला सबसे प्रसिद्ध लोक नृत्य छौलिया है. ऐसा माना जाता है की उत्तराखंड के छौलिया लोक नृत्य का इतिहास कई दशकों पुराना है. इस नृत्य का चलन उत्तराखंड में उस समय से है, जब विवाह तलवार की नोक पर हुआ करते थे. छौलिया नृत्य विवाह के मौके पर किया जाता है. जब बारात निकलती है तो बारात में कुछ पुरुष पारंपरिक वेशभूषा पहने यह नृत्य करते है और इसी तरह दुल्हन के घर तक जाया जाता है.

पश्चिम बंगाल का लोक नृत्य

  • छाऊ नृत्य: पश्चिम बंगाल का छाऊ नृत्य गीत संगीत से भरपूर होता है. यह बहुत ही सशक्त छवि वाला नृत्य होता है. छाऊ नृत्य पश्चिम बंगाल के साथ साथ उड़ीसा और बिहार में भी किया जाता है. इन प्रदेशों में यह नृत्य कई मौको पर किया जाता है, जैसे- सूर्य पूजा आदि. इस नृत्य में रामायण एवं महाभारत आदि की घटनाओं का वर्णन किया जाता है. मुखौटे इस नृत्य का विशेष आकर्षण होते है.
  • जात्रा: जात्रा एक नाट्य अभिनय युक्त लोक नृत्य है. जिसमे अभिनय के साथ-साथ गीत, संगीत, वाद विवाद आदि होता है. पश्चिम बंगाल में जात्रा का इतिहास बहुत ही पुराना है.

हिमाचल प्रदेश का लोक नृत्य

थाली: हिमाचल में लोक नृत्य विशेष महत्व रखते है. यहाँ कई मौकों पर जैसे त्यौहार, शादी आदि पर विभिन्न लोक नृत्य किये जाते है. थाली नृत्य में नर्तक एवं गायक एक गोल घेरे में बैठते है, इसमें नर्तक एक-एक कर के अपनी प्रस्तुति देते है. इस नृत्य में नर्तक एक विशेष ढंग से अपने शरीर को हिलाता है. थाली नृत्य को और अधिक आकर्षित बनाने के लिए नर्तक सर पर पानी से भरा लोटा रख कर भी नृत्य करते है.

ओड़िसा का लोक नृत्य

ओडिसी: ऐसा माना जाता है कि ओडिसी नृत्य का प्रारंभ मंदिरों में नृत्य करने वाली देवदासियों के नृत्य के द्वारा हुआ. ओडिसी नृत्य में मुख्यतः भगवान् कृष्णा और विष्णु के अवतार की कथाएं बताई जाती है एवं भगवान जगन्नाथ का वर्णन भी किया जाता है. ओडिसी नृत्य के भी कई पुरातात्विक प्रमाण पाए जाते है. यह बहुत ही प्राचीन कला है. ओडिसी नृत्य में हस्त मुद्राएँ बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

भारत में लोक नृत्यों का समृद्ध और विविध संसार है, जो हमारे समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। ये नृत्य भारतीय समाज की भूमिका, इतिहास, और संस्कृति का परिचय कराते हैं। भारतीय लोक नृत्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है जो हमें हमारी विरासत के प्रति गर्व महसूस कराती है और हमारे समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाए रखने का कार्य करती है।

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FAQs

कथकली किस राज्य या प्रांत से संबंधित नृत्य है?

केरल

भरतनाट्यम कौन से राज्य का नृत्य है?

भरतनाट्यम् को सबसे प्राचीन नृत्य माना जाता है। इस नृत्य को तमिलनाडु में देवदासियों द्वारा किया जाता हैं।

मोहिनीअट्टम किस राज्य का लोक नृत्य है?

मोहिनीअट्टम की शाब्दिक व्याख्या ''मोहिनी'' के नृत्य के रूप में की जाती है, दिव्य मोहिनी, केरल का शास्त्रीय एकल नृत्य-रूप है।

भारत में मुख्यतः कितने शास्त्रीय नृत्य है?

भारत के अलग-अलग जगहों के अपने अलग शास्त्रीय नृत्य है | इसकी संख्या आठ या आठ से अधिक हो सकती है. भारत के संगीत- नाटक अकादमी ने मुख्यतः आठ नाम सुझाये हैं, जिनमे भरतनाट्यम, कत्थक, कुचिपुदु, ओडिसी, कत्थककलि, सत्त्रिया, मणिपुरी और मोहिनीअट्टम है।

पनिहारी लोक नृत्य भारत के कौन से राज्य में किया जाता है?

पनिहारी लोक नृत्य भारत के गुजरात राज्य में किया जाता है?

बुइया नृत्य किस राज्य से संबंधित है?

बुइया (Buiya) अरुणाचल प्रदेश में दिगरू मिशमी समुदाय (Digaru Mishmis) का एक नृत्य रूप है।

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