भारत को दो वर्ष के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुना गया है। भारत बुधवार 17 जून 2020 को हुए चुनाव में, 193-सदस्यीय महासभा में 184 मतों से विजयी हुआ। भारत संयुक्त राष्ट्र के सबसे शक्तिशाली अंग में 1 जनवरी से शुरू होने वाले दो वर्षों के लिए पांच स्थायी सदस्यों- चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बैठेगा। एस्टोनिया, नाइजर, सेंट विंसेंट, ग्रेनेडाइंस, ट्यूनीशिया और वियतनाम भी सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य हैं। भारत को पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 के लिए एवं हाल ही में 2011-2012 के लिए चुना गया है।
भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत के निर्विरोध चुने जाने के बाद वह “बहुत कृतज्ञ” हैं। भारत अपने वैश्विक संबंधों, क्षेत्रीय आकार, जीडीपी, आर्थिक क्षमता, बेहतरीन सभ्यता की विरासत के साथ वास्तव में एक स्थायी सदस्य बनने के योग्य है। भारत लंबे समय तक संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा रहा है तथा संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के साथ भारत का ऐतिहासिक जुड़ाव, समकालीन अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत का आंतरिक मूल्य एवं स्थान और विकासशील देशों के अग्रणी के रूप में इसकी भूमिका, सभी इसके पक्षधर हैं। आइए मानदंडों और उन सभी अवसरों को देखें जो भारत के लिए हैं।
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परिषद के लिए चुने जाने हेतु मानदंड
सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्यों के साथ 15 सदस्य हैं और 10 गैर स्थायी सदस्य हैं, जो 2 वर्ष की अवधि के लिए चुने जाते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य:
- चीन
- फ्रांस
- रूसी संघ
- यूनाइटेड किंगडम ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन एंड नदर्न आयरलैंड
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य:
5 स्थायी सदस्यों के साथ, 10 गैर-स्थायी सदस्य भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बैठते हैं। मूल रूप से, सुरक्षा परिषद के 11 सदस्य थे: 5 स्थायी और 6 गैर-स्थायी सदस्य। फिर 1963 में, महासभा ने सुरक्षा परिषद की सदस्यता बढ़ाने के लिए चार्टर में संशोधन की सिफारिश की।
- 5 अफ्रीकी और एशियाई राज्यों से
- 1 पूर्वी यूरोपीय राज्यों से
- 2 लैटिन अमेरिकी राज्यों से
- 2 पश्चिमी यूरोपीय और अन्य राज्यों से
परिषद में चुने जाने के लिए, उम्मीदवार देशों को उनमें से दो-तिहाई सदस्य राज्यों के मतपत्रों की आवश्यकता होती है, जो विधानसभा में मौजूद होते हैं और मतदान करते हैं।
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भारत के लिए अवसर
- भारत की अंतर्राष्ट्रीय प्रोफ़ाइल और क्षमताएं जैसे राजनीति, सतत विकास, अर्थशास्त्र और संस्कृति और विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि का विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर विस्तार होगा।
- UNSC में भारत का चुनाव, भारत को वैश्विक स्तर पर अपने भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक विस्तार करने के लिए बहुत आवश्यक लाभ प्रदान करेगी।
- भारत के UNSC में शामिल होने से वैश्विक नियम-निर्माता बनने के साथ-साथ एक जिम्मेदार हितधारक (अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन करने) के रूप में अपनी स्थिति को बदलने में मदद मिलेगी।
- यह अपने प्रतिद्वंदी और एशिया में उभरते हुए वर्चस्व, चीन के समकक्ष कार्य करेगा और यह अपने निकटवर्ती क्षेत्र एवं उससे आगे बढ़ती सामरिक और सुरक्षा चिंताओं पर काम करेगा।