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SSC CHSL टियर -2 परीक्षा वर्णनात्मक निबंध लेखन: महिला सशक्तिकरण पर निबंध

कर्मचारी चयन आयोग या एसएससी उन अग्रणी सरकारी संगठनों में से एक है, जो राष्ट्र की सेवा के लिए उम्मीदवारों की भर्ती करने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रत्येक वर्ष लाखों अभ्यर्थी इसके द्वारा आयोजित परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं। SSC CHSL टियर- II एक ऑफ़लाइन पेन पेपर-आधारित परीक्षा है जिसमें 1 घंटे की अवधि के साथ 100 अंकों का वेटेज होता है। इसमें अंग्रेजी भाषा और हिंदी भाषा का विकल्प होगा। उम्मीदवार अपनी सुविधा के अनुसार अंग्रेजी या हिंदी भाषा में पेपर लिख सकते हैं। SSC JHT के उम्मीदवार भी इस निबंध को देख सकते हैं। SSC JHT 2020 पेपर II 14 फरवरी 2021 को आयोजित किया जाना है।

SSC CHSL का TIER II 14 फरवरी 2021 को आयोजित होना है। TIER II एक वर्णनात्मक प्रकार की परीक्षा है। परीक्षा के टियर I में अर्हता प्राप्त करने वाले उम्मीदवार टियर II के लिए उपस्थित हो सकेंगे। हम एक श्रृंखला शुरू किये हैं, जहां हम हाल के विषयों से संबंधित कुछ निबंध और पत्र साझा करने जा रहे हैं जो परीक्षा में पूछे जा सकते हैं। इसी क्रम में आज हम “महिला सशक्तिकरण” विषय पर निबंध लिखने जा रहे हैं।

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध लेखन सम्बन्धी मुख्य बातें:
  • महिला सशक्तिकरण क्या है?
  • महिला सशक्तिकरण की क्या आवश्यकता है?
  • महिला सशक्तिकरण के लाभ
  • हम महिलाओं को कैसे सशक्त बना सकते हैं?
  • निष्कर्ष

आइए अब निबंध लिखना शुरू करते हैं-

“महिला सशक्तिकरण

“नारीवाद महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए नहीं है। बल्कि महिलाएं तो पहले से ही मजबूत होती हैं। इसका उद्देश्य दुनिया को उस ताकत को समझने के तरीके को बदलने के लिए प्रेरित करना हैं। ”

सशक्तिकरण का अर्थ है किसी को कुछ स्वतंत्रता, अधिकार, शक्ति या अधिकार देना। इसी प्रकार महिला सशक्तीकरण का अर्थ है महिलाओं के हाथों में शक्ति। इसका मतलब यह है कि महिलाओं के साथ किसी भी क्षेत्र में समान व्यवहार किया जाना चाहिए और उन्हें बिना किसी भेदभाव के समान अवसर दिए जाने चाहिए। पुरुष और महिलाएं समाज के दो अंग हैं। पहले के समय में, पुरुषों को एक परिवार का प्रमुख सदस्य माना जाता था। वे आजीविका कमाने के लिए जिम्मेदार थे और परिवार के निर्णयकर्ता थे। दूसरी ओर, महिलाएँ घरेलू काम करने और बच्चों की परवरिश के लिए ज़िम्मेदार थीं। भूमिकाएं मुख्य रूप से लिंग पर आधारित थीं। निर्णय लेने में महिलाओं की कोई भागीदारी नहीं थी।

महिला सशक्तिकरण क्या है?

महिला सशक्तीकरण वह प्रक्रिया है जो समाज में महिलाओं को सम्मानजनक जीवन के लिए सशक्त बनाती है। बिना सीमा या प्रतिबंध के शिक्षा, पेशे, जीवनशैली, आदि जैसे क्षेत्रों में अवसर मिलने से महिलाएं सशक्त होती हैं। इस प्रक्रिया में शिक्षा, जागरूकता, साक्षरता और प्रशिक्षण के माध्यम से उनकी स्थिति को सुधारना शामिल है। इसमें निर्णय लेने का अधिकार भी शामिल है। जब एक महिला एक महत्वपूर्ण निर्णय लेती है, तो वह सशक्त महसूस करती है।
महिला सशक्तिकरण सामान्य रूप से विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए मान लीजिए, एक परिवार में एक कमाने वाला व्यक्ति है, जबकि दूसरे परिवार में, पुरुष और महिलाएं दोनों कमा रहे हैं, तो किसके पास बेहतर जीवन शैली होगी। इसका सीधा सा जवाब होगा, जिस परिवार में महिला और पुरुष दोनों कमा रहे हैं। इस प्रकार, जिस देश में पुरुष और महिला एक साथ काम करते हैं, वह तेज गति से विकसित होता है।

महिला सशक्तिकरण की क्या आवश्यकता है?

हमारे देश की पूरी आबादी में से 50% आबादी महिलाएँ हैं। हालांकि, कन्या भ्रूण हत्या प्रथाओं के कारण भारत में बालिकाओं की संख्या तेजी से घट रही है। इसने भारत में लिंगानुपात को भी प्रभावित किया है। लड़कियों में साक्षरता दर बहुत कम है। अधिकांश लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा भी प्रदान नहीं की जाती है। इसके अलावा, उनकी शादी जल्दी हो जाती है और बच्चों की परवरिश करने और घर के काम करने का ही उसपर बोझ डाला जाता है। उन्हें बाहर जाने की अनुमति नहीं होती और उनके पति का उनपर वर्चस्व होता है। कई पुरुष महिलाओं को वस्तु समझते है और उनकी मानसिक स्थिति और उनके सुख-दुःख पर ध्यान नहीं देते हैं। कार्यस्थल पर भी महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है। उन्हें अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में उसी काम के लिए कम भुगतान किया जाता है। इतिहास गवाह है कि महिलाओं के साथ बुरा व्यवहार होता रहा था। वर्तमान समय में बालिका गर्भपात तो प्राचीन समय में सती प्रथा, आदि द्वारा महिलाओं को इस तरह की हिंसा का सामना करना पड़ता रहा है। यही नहीं, भारत में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार, एसिड अटैक, दहेज प्रथा, ऑनर किलिंग, घरेलू हिंसा आदि जैसे जघन्य अपराध आज भी हो रहे हैं।

महिला सशक्तिकरण के दिशा में कार्य:

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पूरे विश्व में हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। भारत में महिलाओं के अधिकारों को सक्षम करने के कई तरीके हैं।इसके लिए लोगों और सरकार को एक साथ मिलकर इसके लिए कदम उठाना होगा। लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा अनिवार्य रूप से वितरित की जानी चाहिए ताकि महिलाएं अपने लिए और जीवन को बेहतर बनाने के लिए साक्षर हो सकें। लिंग की परवाह किए बिना महिलाओं को हर क्षेत्र में समान अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। इसके अलावा, उन्हें समान काम के लिए समान वेतन दिया जाना चाहिए।

हम भारत में बाल विवाह को समाप्त करके महिलाओं को भी सशक्त बना सकते हैं, जो आमतौर पर गाँव के क्षेत्रों में होता है। कई कार्यक्रमों का संचालन किया जाना चाहिए जहां उन्हें वित्तीय संकटों का सामना करने की स्थिति में खुद की रक्षा करने की क्षमता विकसित करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। सबसे जरूरी है कि तलाक और गाली और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। कई महिलाएं समाज के दबाव में अपमानजनक संबंधों को सहन करती हैं। माता-पिता को अपनी बेटियों को शिक्षित करना चाहिए कि किसी के दुर्व्यवहार को बर्दाश्त करना गलत है, भले ही वह रिश्तेदारों ही क्यों न किया जा रहा हो। जब भी आवश्यक हो कार्रवाई भी करनी चाहिए।

हम महिलाओं को कैसे सशक्त बना सकते हैं?

हम एक-एक लड़की को शिक्षित करके महिलाओं को सशक्त बना सकते हैं हम महिलाओं को उनके अधिकारों को देकर, उन्हें किसी भी दुर्व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाने की शिक्षा देकर उन्हें सशक्त बना सकते हैं। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हम बहुत सारी चीजें कर सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें सभी समान अधिकारों के साथ व्यक्तिगत रूप से और पेशेवर रूप से समान व्यवहार किया जाए। हमें बाल विवाह प्रथा को भी रोकना चाहिए।

निष्कर्ष:

महिलाओं को विभिन्न तरीकों से सशक्त बनाया जा सकता है। इसके लिए सरकारी योजनाओं के साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से भी कदम उठाये जाने चाहिए। व्यक्तिगत स्तर पर, हमें महिलाओं का सम्मान करना शुरू करना चाहिए और उन्हें पुरुषों के बराबर अवसर देना शुरू करना चाहिए। हमें नौकरियों, उच्च शिक्षा, व्यावसायिक गतिविधियों आदि के लिए उन्हें बढ़ावा देना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए। उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।

 

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