कर्मचारी चयन आयोग या एसएससी उन अग्रणी सरकारी संगठनों में से एक है, जो राष्ट्र की सेवा के लिए उम्मीदवारों की भर्ती करने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रत्येक वर्ष लाखों अभ्यर्थी इसके द्वारा आयोजित परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं। SSC CHSL टियर- II एक ऑफ़लाइन पेन पेपर-आधारित परीक्षा है जिसमें 1 घंटे की अवधि के साथ 100 अंकों का वेटेज होता है। इसमें अंग्रेजी भाषा और हिंदी भाषा का विकल्प होगा। उम्मीदवार अपनी सुविधा के अनुसार अंग्रेजी या हिंदी भाषा में पेपर लिख सकते हैं।
TIER II एक वर्णनात्मक प्रकार की परीक्षा है। परीक्षा के टियर I में अर्हता प्राप्त करने वाले उम्मीदवार टियर II के लिए उपस्थित हो सकेंगे। हम एक श्रृंखला शुरू किये हैं, जहां हम हाल के विषयों से संबंधित कुछ निबंध और पत्र साझा करने जा रहे हैं जो परीक्षा में पूछे जा सकते हैं। इसी क्रम में आज हम “आत्मनिर्भर भारत” विषय पर निबंध लिखने जा रहे हैं।
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‘आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर निबंध के मुख्य बिंदु:
- आत्मनिर्भर भारत क्या है?
- आत्मनिर्भर भारत क्यों शुरू किया गया?
- आत्मनिर्भर भारत के तहत दिए गए पैकेज
- आत्मनिर्भर भारत के नारे
- चुनौतियां
- आत्मनिर्भर भारत से जुड़ी पहल
- निष्कर्ष
आइए अब निबंध लिखना शुरू करते हैं-
“आत्मनिर्भर भारत ″
आत्मनिर्भर भारत क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को सशक्त बनाने और कोरोना महामारी से उबारने के लिए एक पैकेज की घोषणा की इसे आत्मनिर्भर भारत के रूप में भी जाना जाता है। पीएम मोदी ने भारत को “वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक बड़ा और अधिक महत्वपूर्ण हिस्सा” बनाने के लिए इस नीति की शुरुआत की, जो कुशल, प्रतिस्पर्धी और लचीला है और आत्मनिर्भर बनाने वाली नीतियों को आगे बढ़ा रहा हैं। आत्मनिर्भर भारत का यह अर्थ कतई नहीं हैं कि हम आत्म-नियत्रित हो जाए तथा दुनिया से अलग-थलग हो जाए। यह मिशन 12 मई 2020 को भारत के कोविड-19 महामारी संबंधी आर्थिक पैकेज की घोषणा के समय सामने आया। जिसमें प्रधान मंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभ इकॉनमी, इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी संचालित सिस्टम, वाईव्रेंट डेमोग्राफी, और डिमांड को बताया।
आत्मनिर्भर भारत क्यों शुरू किया गया?
इस नीति का मुख्य उद्देश्य में पहला है अंतरिम उपाय जिससे लिक्विडिटी इन्फ्लेशन और गरीबों के लिए सीधे नकद हस्तांतरण कर उनके तनाव को कम किया जाए। दूसरा, दीर्घकालिक सुधार, जो विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी और आकर्षक बनाये। साथ ही इसका लक्ष्य कोविड -19 महामारी से प्रभावित आर्थिक गतिविधि को पुनर्जीवित करने, और कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs), बिजली, कोयला और खनन, रक्षा और विमानन, आदि जैसे क्षेत्रों में विकास के नए अवसर पैदा करना हैं। हालांकि, इस योजना के साकार होने की दिशा में कई चुनौतियां भी हैं।
आत्मनिर्भर भारत के तहत दिए गए पैकेज
इसके अंतर्गत पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ का आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज देने की घोषणा की है जो भारत की जीडीपी का 10% है। इस पैकेज का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में अधिक धन का इंजेक्शन लगाकर आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य को प्राप्त करना है। महामारी के कारण आर्थिक रूप से प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था पर इस प्रोत्साहन पैकेज के प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक तमाम स्तर पर प्रभाव पड़ेंगे।
प्राथमिक प्रभाव:
- यह सुधार वन नेशन वन मार्केट उद्देश्य की दिशा में एक कदम हैं और भारत को दुनिया का फ़ूड फैक्ट्री बनने में मदद करेगा।
- यह आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।
- साथ ही, 40,000 करोड़ रुपये के मनरेगा से अपने गांवों में लौटे प्रवासियों के रोजगार के संकट को दूर करने में मदद मिलेगी।
द्वितीयक प्रभाव:
- इस पैकेज के तहत एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के संपार्श्विक-मुक्त ऋण की सुविधा इस वित्त-भू-क्षेत्र को मजबूती देगी और इस तरह अर्थव्यवस्था की निराशाजनक स्थिति को कम करेगी।
- एमएसएमई क्षेत्र भारत में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार पैदा करने वाला क्षेत्र है, यह कदम श्रम प्रधान उद्योगों को बनाए रखने में मदद करेगा और इस तरह भारत को अपेक्षाकृत लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा।
तृतीयक प्रभाव:
- डिजिटल ऑनलाइन शिक्षा के लिए मल्टी-मोड एक्सेस के लिए लॉन्च किया गया पीएम ई-विद्या कार्यक्रम पूरे राष्ट्र के लिए एक समान शिक्षण मंच प्रदान करेगा, जो स्कूलों और विश्वविद्यालयों को शिक्षण घंटे के नुकसान के बिना ऑनलाइन पाठ्यक्रमों को स्ट्रीम करने में सक्षम बनाएगा।
- जमीनी स्तर की स्वास्थ्य संस्थानों में निवेश तथा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को स्थापित करके स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय में वृद्धि की जाएगी।
आत्मानिर्भर भारत का नारा:
आत्मानिर्भर भारत के तहत शुरू किए गए नारों में ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘लोकल फ़ॉर ग्लोबल’, और ‘ मेक फॉर द वर्ल्ड’ प्रमुख रूप से छाये हुए हैं। 2020 में स्वतंत्रता दिवस पर भाषण देते हुए, प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय की मन में ‘लोकल फॉर वोकल’ का भाव होना चाहिए। हमें अपने स्थानीय उत्पादों की सराहना करनी चाहिए, अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो हमारे उत्पादों को बेहतर करने का अवसर नहीं मिलेगा और वह बाजार में प्रोत्साहित नहीं हो पाएगा। इसी नारे का अगला रूप ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ है। भारत के स्थानीय उत्पादों की वैश्विक पहुंच होनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने 2020 के आजादी के भाषण के दौरान कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ के लिए ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ के साथ हमें काम करना चाहिए।
चुनौतियाँ:
इस पैकेज का अधिकांश भाग को तरलता लाने के उपाय के रूप में लाया गया हैं जो RBI द्वारा बैंकों और बैंकों से नागरिकों को प्रेषित किए जाते हैं। यह प्रसारण मौद्रिक नीति के अक्षम संचरण के कारण सुचारू नहीं होगा। लॉकडाउन ने कुल मांग को कम कर दिया है, जिससे राजकोषीय प्रोत्साहन की आवश्यकता है। हालांकि, पैकेज, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए क्रेडिट इन्फ्यूजन पर अत्यधिक निर्भरता से, यह पहचानने में विफल रहा है कि निवेश तभी बढ़ेगा जब आय वर्ग के लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसा होगा। जब तक अन्य घरेलू अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित नहीं किया जाता है, तब तक एमएसएमई क्षेत्र की मांग में कमी होने की संभावना है, और इसका उत्पादन जल्द ही बंद हो सकता है। सरकार का दावा है कि प्रोत्साहन पैकेज भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10% है। हालांकि, इसका वित्तपोषण करना मुश्किल होगा क्योंकि सरकार राजकोषीय घाटे को लेकर चिंतित है।
आत्मनिर्भर भारत से जुड़े पहल
इस महामारी के दौरान, हर व्यवसाय बंद था और इससे राष्ट्र बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इससे सभी मानवों के लिए एक बड़ी वित्तीय हानि हुई। भारत सरकार के लिए देश के आर्थिक संतुलन को वापस लाना और बाजार में कुछ वित्त प्रवाह करना बहुत महत्वपूर्ण था। लॉकडाउन से बाहर निकलने वाले देश के लिए आर्थिक पैकेज के लिए अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ाने वाली उत्तेजना की आवश्यकता होती है। भारत के विदेशी भंडार एक सर्वकालिक उच्च स्तर पर हैं जो रणनीतिक रूप से अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। अन्य देशों को निजीकरण, कराधान, ऋण, और अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहायता से आना पड़ सकता है। आत्मानिर्भर की योजना समग्र सुधारों के अधूरे एजेंडे को भी अपने में समाहित करती है जिसमें सिविल सेवाओं, शिक्षा, कौशल और श्रम आदि में सुधार शामिल हो सकते हैं।
निष्कर्ष:
आत्मनिर्भर भारत अभियान के आर्थिक पैकेज से उन प्रवासी मजदूरों और किसानों की कठिनाइयों को कम करने की उम्मीद की जा रही है, जिन्हें तालाबंदी के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान उठाया है। इससे मध्यम वर्ग को एक आधार मिलने की भी उम्मीद है जो समय पर अपने करों का भुगतान करते हैं और कुटीर उद्योग, लघु उद्योग और एमएसएमई सहित कुछ उद्योगों को विकसित करने में मदद करते हैं साथ ही जो लोगों को आजीविका प्रदान करते हैं। कोविड -19 के बाद की अवधि अर्थव्यवस्था के लिए भले ही कठिन है पर यह अभूतपूर्व अवसरों को ला सकता है बशर्ते कार्यान्वयन घाटा पर पर्याप्त ध्यान दिया जाए।
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नोट: जो उम्मीदवार टियर II वर्णनात्मक परीक्षा देनें जा रहे हैं, वे हमें अपने निबंध भेज सकते हैं। निबंध लेखन का अगला विषय “मोबाइल की लत(Mobile Addiction)” 1 फरवरी को प्रकाशित होने जा रहा है। इच्छुक उम्मीदवार हमें इस विषय पर निबंध 1 फरवरी से पहले blogger@adda247.com पर मेल कर सकते हैं।