राजस्थान में अपवाह तंत्र
बहाव की दृष्टि से राजस्थान में नदियों को तीन भागों में विभाजित किया गया है।
- आंतरिक अपवाह प्रणाली – 2%
- अरब सागरीय अपवाह तंत्र – 1%
- बंगाल की खाड़ी तंत्र – 23%
आन्तरिक अपवाह प्रणाली वाली नदियाँ
ऐसी नदियां जो सागर या महासागर में नहीं गिरकर अपने आन्तरिक स्थलीय क्षेत्र में विलय हो जाती है।
घग्घर नदी
घग्घर नदी का प्राचीन नाम द्वशद्वती था। इसका उदगम स्थल शिवालिक की पहाड़ियों हिमाचल प्रदेश से होता है। इसे मृत नदी भी कहते है।
घग्घर नदी राजस्थान की सबसे बड़ी आन्तरिक प्रवाह की नदी है। राजस्थान में यह हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी स्थान से प्रवेश करती है। यह नदी हनुमानगढ़ में बहती हुई भटनेर के पास विलुप्त हो जाती है। अधिक वर्षा होने के कारण इसका प्रवाह पाकिस्तान के फोर्ट अब्बास में पहुंच जाता है। वहां इसे हकरा नाम से जाना जाता है। हनुमानगढ़ ओर गंगानगर जिले में घग्घर नदी के पाट को नाली कहा जाता है।
कांतली नदी
कांतली नदी का उदगम स्थल खेंडला की पहाड़ियां सीकर में है। इसके किनारे पर राजस्थान की प्राचीन गणेश्वर सभ्यता स्थित हैं। कांतली नदी का बहाव तोरावाटी कहलाता है। यह नदी सीकर से निकलकर झुंझुनूं में बहती हुई चूरू में जाके विलुप्त हो जाती है।
कांकनी / काकनेय नदी
इसे मसुरदी नदी भी कहते है। इसका उदगम स्थल जैसलमेर जिले का कोटरी गांव है तथा मीठा खाड़ी में विलुप्त हो जाती है। बुझ झील का निर्माण इसी नदी पर है।
मंथा नदी
जयपुर जिले के मनोहर थाना से मंथा नदी निकलती है। यह नागौर जिले में प्रवेश कर सांभर झील में मिल जाती है।
साबी नदी
इसका उदगम स्थल जयपुर में सेवर की पहाड़ियां है । यह हरियाणा में पटौदी के निकट नफजगढ़ झील में मिल जाती है।
रूपनगढ़ नदी
यह सलेमाबाद अजेमर से निकलकर सांभर झील में मिल जाती है।
राजस्थान में अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ
लूणी नदी
लूणी नदी का उदगम स्थल नाग पहाड़ी अजमेर है इसका प्राचीन नाम लवणमती है। इसका उदगम स्थल पर नाम सागरमती/ सरस्वती है। अजेमर के मैदानों में इसे साकरी कहा जाता है। यह राजस्थान के 6 जिलों में अजमेर, नागौर, जोधपुर , पाली, बाड़मेर ओर जालोर में बहती हुई कच्छ के रण में मिल जाती है। यह पश्चिमी राजस्थान की सबसे बड़ी नदी है। इसकी लंबाई 330 km है। लूणी नदी का पानी बालोतरा तक मीठा रहता है उसके बाद इसका पानी खारा हो जाता है।
बांध – इस नदी पर जोधपुर में जसवंतसागर बांध बना हुआ है जिसे पिचयाक बांध भी कहते है।
लूणी नदी की सहायक नदियां
- जोजड़ी नदी:-यह नागौर जिले से निकलती है ओर जोधपुर में लूणी नदी में मिल जाती है। एक मात्र नदी जो लूणी नदी के दाई ओर से निकलती है|
- लीलडी नदी, मिठड़ी नदी, बांडी नदी, गुरया नदी, सुकड़ी नदी, जवाई नदी, खारी नदी, सागी नदी
- बांडी नदी पर हेमवास बांध पाली जिले ने बना हुआ है।
- सुकड़ी नदी पर बांकली बांध जालोर जिले में स्थित है।
- जवाई नदी पर जवाई बांध पाली जिले में स्थित है इसे मारवाड़ का अमृत सरोवर कहते है।
- सेई परियोजना – उदयपुर से पाली तक सुरंग बनाकर जवाई बांध तक सई नदी का पानी लाना है।
माही नदी
यह दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा कहलाती है। माही नदी का उदगम स्थल मेहद झील मध्यप्रदेश है। इसकी कुल लंबाई 580 km है। माही नदी मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात राज्य में प्रवाहित होती है। राजस्थान में यह बांसवाड़ा के खांदू ग्राम से प्रवेश करती है। माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है तथा U आकार बनाती है। इसे कांठल की गंगा , बांगड़ की गंगा भी कहते है इसके प्रवाह क्षेत्र को छप्पन का मैदान कहते है । माही नदी का संगम खंभात की खाड़ी में होता है।
माही नदी पर बांध:-माही नदी पर माही बजाज सागर परियोजना बांसवाड़ा में स्थित है। यह राजस्थान ओर गुजरात की संयुक्त परियोजना है इसमें गुजरात व राजस्थान की हिस्सेदारी 45:55% है।
- इसमें बांध तीन चरण में बने हुए है।
- कडाना बांध – गुजरात पर बना हुआ है।
- बांसवाड़ा में बोरखेड़ा में माही बजाज सागर बांध बना हुआ है।
- कागदि पिक अप बांध – बांसवाड़ा
- माही बजाज सागर में दो बिजली घर बनाए गए जिनकी पूरी बिजली राजस्थान उपयोग करता है।
माही नदी की सहायक नदी
- सोम नदी – इसका उदगम स्थल बिछ मेडा की पहाड़ियां उदयपुर में है।
- यह बनेश्चर डूंगरपुर में सोम माही जाखम नदियों का त्रिवेणी संगम बनाती है। यही
- इस पर सोम कागदर परियोजना उदयपुर जिले में स्थित है।
- सोम नदी पर डूंगरपुर में सोम, अंबा, कमला परियोजना स्थित है।
जाखम नदी
इसका उदगम स्थल छोटी सादड़ी प्रतापगढ़ है। इसका संगम डूंगरपुर में सोम नदी में होता है।
जाखम नदी पर प्रतापगढ़ में जाखम बांध स्थित है।
अनास नदी
- उसका उदगम स्थल मध्यप्रदेश है यह बांसवाड़ा में माही नदी में मिल जाती है।
- अनास बांध – बांसवाड़ा जिले में इस पर स्थित विद्युत परियोजना है। यह राजस्थान की विद्युत परियोजना है।
साबरमती नदी
इस नदी का उदगम उदयपुर जिले की अरावली पर्वत मालाओ से होता है। फिर यह राजस्थान में उदयपुर सिरोही, पाली, डूंगरपुर से होते हुए गुजरात के साबरकांठा, अहमदाबाद ओर गांधीनगर होते हुए खंभात की खाड़ी में गिर जाती है।
बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ
बाण गंगा
- इसे अर्जुन की गंगा भी कहते है।
- इसका उदगम बेराठ की पहाड़ियां जयपुर से होता है।
- इसका बहाव क्षेत्र जयपुर, दौसा भरतपुर जिला है अंत में यह फतेहाबाद उत्तरप्रदेश में यमुना नदी में मिल जाती है।
बाण गंगा नदी पर बांध
- इस पर जयपुर में जमवा रामगढ़ बांध स्थित है।
- बाणगंगा कम बारिश होने पर भरतपुर में विलुप्त हो जाती है तथा ज्यादा बारिश होने पर फतेहाबाद में यमुना से मिल जाती है। बाणगंगा को रूंडित नदी भी कहते है।
गंभीरी नदी
इसका उदगम स्थल नादोती की पहाड़ियां करोली है।
सहायक नदियां
- पांचना नदी :इस नदी पर करोली जिले में पांचना बांध बना हुआ है जो मिटी से बना हुआ है।
- सेसा नदी
- खेर नदी – खानवा का युद्ध इसी नदी के किनारे स्थित है।
चंबल नदी
- यह राजस्थान की प्रमुख नदी है इसे राजस्थान की कामधेनु कहते हैं। इसका प्राचीन नाम चर्मवती है।
- यह राजस्थान की बारहमासी बहने वाली नदी है। इसकी कुल लंबाई 965 km है। राजस्थान में इसकी लंबाई 135 km है।
- यह राजस्थान में सर्वाधिक अवनलीका का अपरदन इसी नदी के कारण होता है।
- चंबल नदी का बहाव क्षेत्र कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करोली ओर धौलपुर जिला है।
- राजस्थान मे यह चौरासीगढ़ (चित्तौड़गढ़) से प्रवेश करती है। यह सवाई माधोपुर ओर धौलपुर जिले तक राजस्थान ओर मध्यप्रदेश की सीमा बनाती है। यह नदी इटावा के नजदीक मुरादगंज के पास यमुना नदी में मिल जाती है।
- केशवरायपाटन के पास इसका पाट अधिकतम व गहराई भी अधिकतम होती है।
चंबल नदी पर बांध
- गांधी सागर बांध – मध्यप्रदेश
- रामप्रताप सागर बांध – रावतभाटा चित्तौड़गढ़
- जवाहर सागर – कोटा
- कोटा बैराज – कोटा
चंबल नदी की सहायक नदियां
- बामनी नदी – इसका उदगम भैंसरोड़गढ़ चित्तौड़गढ़ में होता है।
- कालीसिंध नदी – कोटा जिले में नोतेरा नामक स्थान से यह निकलती है।
- पार्वती नदी – सवाई माधोपुर जिले के पलिया नामक स्थान से यह नदी निकलती है।
- रामेश्वरम – राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में चंबल नदी में बनास ओर सीप नदिया आकार मिलती है ओर त्रिवेणी संगम बनाती है।
बनास नदी
- बनास नदी का उपनाम वन की आशा है। बनास नदी राजस्थान में पूर्णत बहने वाली सबसे लंबी नदी है इसकी कुल लंबाई 522 km है तथा राजस्थान में इसकी लंबाई 422 km है। इसका उदगम स्थल खमनौर की पहाड़ियां राजसमंद है। बनास नदी का बहाव क्षेत्र राजसमंद, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर जिले है।
- यह रामेश्वर धाम में चंबल में मिल जाती है।
सहायक नदियां
बेड़च नदी , कोठारी नदी ,मेनाल नदी,
त्रिवेणी संगम
- मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) के पास में बिंगोद नामक स्थल पर बनास, बेड़च ओर मेनाल नदियों का त्रिवेणी संगम होता है।
बेड़च नदी
- इसे आयड़ नदी भी कहते है। इसी के किनारे आहड़ सभ्यता के प्रमाण मिले है। इसकी कुल लंबाई 190 km है।
- बेड़च नदी का उदगम स्थल गोगुंदा की पहाड़ियां उदयपुर है।
- इसका नाम बेड़च उदयसागर में गिरने के बाद होता है।
- चित्तौड़गढ़ में बेड़च नदी में गंभीरी नदी मिल जाती है।
बांध
घोसुंडा बांध (चित्तौड़गढ़)
पार्वती नदी
इसका उदगम स्थल मध्यप्रदेश में विंध्याचल पर्वत के सेहोर नामक स्थान से यह नदी निकलती है। यह राजस्थान में बारां जिले से प्रवेश करती है। इसका बहाव क्षेत्र बारां ओर कोटा जिला है । यह सवाई माधोपुर जिले में पलिया स्थान ओर चंबल नदी में मिल जाती है।
कालीसिंध नदी
यह नदी मध्यप्रदेश में देवास के निकट बागली की पहाड़ियों से निकलती है। यह राजस्थान में झालावाड़ जिले से राजस्थान में प्रवेश करती है। इसका बहाव क्षेत्र झालावाड़, कोटा ओर बारां जिला है । यह कोटा जिले में नोनेरा स्थान पर चंबल नदी में मिल जाती है।
सहायक नदियां
आहू ,परवन, निमाज ओर उजाड़ नदी
आहू नदी
- आहू नदी मध्यप्रदेश के निकट सुसनेर से निकलती है। राजस्थान में यह झालावाड़ जिले से प्रवेश करती है। इसका बहाव क्षेत्र झालावाड़ ओर कोटा की सीमा के पास से बहती हुई झालावाड़ के गागरोन में कालीसिंध से मिल जाती है।
- कालीसिंध ओर आहू नदियों के संगम पर राजस्थान का जल दुर्ग गाग़रोन का दुर्ग स्थित है।
निमाज नदी
- इसका उदगम स्थल विंध्याचल पहाड़ी के राजगढ़ स्थान से निकलती है। राजस्थान में यह कोलुखेडी के निकट झालावाड़ जिले में यह प्रवेश करती है।
- बहाव क्षेत्र – यह झालावाड़ जिले में बहती हुई झालावाड़ ओर बारां जिले की सीमा पर अकलेरा के निकट परवन नदी में मिल जाती है।
मेज़ नदी
यह नदी भीलवाड़ा के बिजोलिया के निकट से निकलती है। यह कोटा ओर बूंदी कि सीमा पर चंबल नदी में मिल जाती है।
सहायक नदी
- बामन, कुराल, मांगली नदी
कोठारी नदी
- इसका उदगम स्थान दिवेर की पहाड़ी राजसमंद है। यह राजसमंद, चित्तौड़गढ़ ओर भीलवाड़ा जिल में बहती हुई भीलवाड़ा के निकट बनास नदी में मिल जाती है।
- भीलवाड़ा में मांडलगढ़ में मेजा बांध इसी नदी पर बना हुआ है।
खारी नदी
इसका उदगम स्थल बिजराल की पहाड़ियां है यह राजसमंद भीलवाड़ा, अजमेर ओर टोंक में बहकर देवली के निकट बनास नदी में मिल जाती है।
मानसी नदी
इस नदी का उदगम भीलवाड़ा जिले के मांडल तहसील से होता है। यह भीलवाड़ा में खारी नदी में मिल जाती है।
बामनी नदी
यह चंबल नदी की सहायक नदी है यह हरिपुरा गांव के पास की पहाड़ियों से निकलती है। यह भेंसरोडगढ़ में चंबल नदी में मिल जाती है।
चंद्रभागा नदी
यह एक छोटी नदी है जो सेमली नामक स्थान से निकलती है यह कालीसिंध नदी में मिल जाती है।
मांगली नदी
यह बूंदी जिले की प्रमुख नदी है। यह मेज़ नदी के सहायक नदी है।
घोड़ा पछाड़ नदी
यह नदी बिजोलिया झील से निकलती है यह सागवाड़ा के निकट मांगली नदी में मिल जाती है।
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FAQs
Q1. क्या इस आर्टिकल में राजस्थान के अपवाह तंत्र के बारे में सब कुछ शामिल है?
ANSWER :- हाँ परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण सब शामिल है|
Q2. किन किन परीक्षाओ में ये आर्टिकल मददगार होगा?
ANSWER :- राजस्थान में होने वाले सभी परीक्षाओ जैसे विडिओ ,कांस्टेबल ,कंप्यूटर अनुदेशक आदि के लिए महत्वपपूर्ण है |
Q3. क्या ऊपर दिया गया टेस्ट या क्विज फ्री उपलब्ध है ?
ANSWER:- हाँ Adda247 की एप्लीकेशन पर जाकर ये क्विज एटेम्पट कर सकते है एप्लीकेशन का लिंक ऊपर दिया हुआ है|