हुक का नियम
किसी ठोस की प्रत्यास्थता को प्रत्यास्थता के नियम द्वारा निर्धारित किया जाता है जिसे हुक के नियम द्वारा दर्शाया जाता है। विज्ञान और इंजीनियरिंग की विभिन्न शाखाओं में स्प्रिंग के बल और दूरी के बीच संबंध का पता लगाने के लिए इस नियम का उपयोग किया जाता है। इस आर्टिकल में हुक का नियम, परिभाषा, कथन, सूत्र और अनुप्रयोगों पर प्रकाश डालेंगे।
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हुक का नियम: परिभाषा
अंग्रेजी वैज्ञानिक रॉबर्ट हूक ने हुक के नियम में खोज की, जिसके अनुसार स्प्रिंग को कुछ दूरी तक बढ़ाने या संपीड़ित करने के लिए आवश्यक बल उस दूरी के समानुपाती होता है। हुक का नियम वहाँ महत्व रखता है, जहां कोई प्रत्यास्थ निकाय, विकृत होता है और इसका उपयोग करके आप जटिल वस्तुओं के विकृति और प्रतिबल के बीच संबंध निकाल सकते हैं।
हुक क नियम: सूत्र
स्प्रिंग के लिए हुक का नियम प्रायः इस परिपाटी के तहत कहा जाता है कि किसी (प्रत्यास्थ) स्प्रिंग की लम्बाई में परिवर्तन, उस पर आरोपित बल के समानुपाती होता है।इस प्रकार, हूक के नियम का सूत्र है::
जहां k स्थिरांक है और x दूरी है। नकारात्मक चिन्ह का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि पुनर्स्थापन बल की दिशा विस्थापन के विपरीत होती है।
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हुक के नियम के अनुप्रयोग:
हुक के नियम के अनुप्रयोग हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन में आपने सामने कई सामान्य वस्तुओं में देखे जा सकते हैं। कुछ अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं:
- हुक के नियम का उपयोग स्प्रिंग्स के व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
- यह कई अन्य स्थितियों में भी लागू किया जाता है जहां एक लोचदार वस्तु विकृत होती है।
- इसके उदाहरणों में एक गुब्बारा फुलाया जाना, एक रबर बैंड पर खींचना और एक विशाल भवन को गिराने के लिए आवश्यक हवा की मात्रा शामिल है।
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हुक का नियम: सामान्यत पूछे जाने वाले प्रश्न
हुक का नियम क्या कहता है?
हूक का नियम बस एक समीकरण द्वारा प्रतिस्थापन बल और स्प्रिंग के विस्थापन के बीच संबंध बताता है।
F =- KX का अर्थ क्या है?
F = – KX, हुक का नियम है जिसका उपयोग किसी वस्तु की प्रत्यास्थता को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।