भाई दूज भाई और बहन के बीच के पवित्र रिश्ते को दर्शाता है। यह दीपावली के साथ शुरू हुए पांच दिवसीय उत्सव के पांचवें दिन मनाया जाता है। यह दिन भाई-बहनों के बीच शाश्वत बंधन को याद करता है। यह इसके शाब्दिक अर्थ में देखने को स्पष्ट रूप में मिलता है। यह हिदी माह के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन बहन अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाती है और आरती उतारती है। वे भाई के लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं और भाई सभी बुराइयों से उनकी रक्षा करने का वचन देता हैं। जिस बहन का भाई उससे बहुत दूर रहता है, वह अपनी अपने भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना चंद्रमा देवता के माध्यम से भेजती है।
इस पर्व के सम्बन्ध में एक कथा प्रचलित है कि यमुना और यमराज भाई-बहन थे। यमुना के बुलाने पर कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को जब यमराज अपनी बहन यमुना के घर गया तो यमुना ने उसका स्वागत किया, जिससे खुश होकर यमराज ने यमुना से कुछ मांगने को कहा। इसपर यमुना ने कहा कि तुम मुझे यह वचन दो कि आज के दिन जो भाई-बहन इस प्रकार इस दिन को मनाएंगे। उन्हें यम का भय नहीं होगा। जिसका वचन यमराज ने भी दिया। इस आधार पर यह माना जाता है कि इसे मनाने से यम का भय नहीं होता।
हमारी कामना हैं कि भाई दूज का यह शुभ पर्व आपके और आपके भाई-बहन के बीच के रिश्ते को मजबूत करें। आप सभी को भाई दूज की ढेर सारी शुभकामनाएं।